“हिम्मत” ये सिर्फ एक शब्द ही नहीं है अपितु यह वो साथी है जो कभी भी आपका साथ नहीं छोड़ता। हमारे जीवन में कई बार ऐसी परिस्थितियां आती है जब हम अंदर से टूटने लगते है, हर तरफ सिर्फ अँधेरा ही अँधेरा नज़र आने लगता है ,उम्मीद की हर किरण धुंधली पड़ जाती है और हमारे लिए समाज का नज़रिया बिलकुल बदल जाता है ,यही वो समय होता है जब हमारी हिम्मत हमारे काम आती है और यही वह समय होता है जब हम असंभव को संभव कर पाते हैं। आज जिस शख्सियत के बारे में आप पढ़ने जा रहें उन्होंने भी अपनी हिम्मत के बलबूते “असंभव को संभव” कर दिखाया! ये कहानी है यश शर्मा जी की जिन्होंने Arthritis जैसी गंभीर problem के साथ 8 वर्षों तक लड़ाई लड़ी और अंत में जीत हासिल करके अपनी जिंदगी की फिर से नई शुरूवात करी और वर्तमान में हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट,शिमला में एक सफल वकील (Lawyer) के रूप में कार्यरत हैं।
Early Life and Family Background
मेरा नाम यश शर्मा है और मैं हिमाचल प्रदेश की राजधानी और पहाड़ों की रानी शिमला का रहने वाला हूँ। मेरे परिवार में मेरे पिता जी श्री गणेश दत्त शर्मा जी जुडिशरी से रिटायर्ड Chief Administrative Officer है और मेरी माता जी श्रीमति उर्मिला शर्मा जी गृहणी (Housewife) है।मेरे भाई का नाम प्रदीप शर्मा है और वर्तमान में वह मुंबई में एक MNC में AGM के पद पर कार्यरत हैं और उनकी पत्नी श्रीमती जाग्रति शर्मा जो की रिलायंस लाइफ साइंसेज में सीनियर मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं और उनकी दो बेटियां अवनि और उपन्या हैं। मेरी बहन रेनू शर्मा, मेरे जीजा जी श्री रविकांत जी और उनका एक एक बेटा सिद्धांत शर्मा है। मेरी सारी पढ़ाई शिमला से ही हुई है और वर्तमान में हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट, शिमला एक वकील (Lawyer) के रूप में कार्यरत हूँ।
My Dream
बचपन से ही मेरी Sports और Dance में बहुत ज्यादा रूचि थी। स्कूल में मैंने हॉकी और क्रिकेट को काफी पैशनेट होकर खेला।क्रिकेट को मैंने यूनिवर्सिटी लेवल तक खेला। एक समय पर तो उसे अपना करियर ऑप्शन लेकर चला हुआ था। कॉलेज फेस्ट में डांस परफॉर्म करता था। Benton boys के नाम से हिमाचल में हमारा बहुत ही प्रसिद्ध डांस ग्रुप था। कुछ समय के लिए मॉडलिंग भी करी। मैं स्कूल के दिनों में बहुत शर्मीले सव्भाव वाला लड़का था कॉलेज में जब डांस करने लगा तो उस वजह से मैं थोड़ा open up हुआ। यूनिवर्सिटी में Mr. फ्रेशर भी चुना गया था।
A Nightmare
मैं अपनी लाइफ (Life) को बहुत ही अच्छे ढंग से जी रहा था व् अपने जीवन का भरपूर आनंद उठा रहा था। पर वो कहते हैं न की किस्मत के खेल निराले हैं, मेरी किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। एक दिन की बात है मैं फैकल्टी cricket match खेल रहा था तो मेरी कमर में थोड़ा सा दर्द हुआ बहरहाल मैंने मैच पूरा किया ,घर जा रहा था तो मेरे दोस्त में मुझे बोला की निमोलेड (Nimoled)दवाई ले ले।घर जाकर वो दवाई ले ली, पर रात को दर्द बढ़ गया बुखार और पसीना भी बहुत आ रहा था। अगले दिन IGMC शिमला (हॉस्पिटल) गया तो डॉक्टर ने बोला टैंशन वाली कोई बात नही है दर्द जल्दी ही ठीक हो जायेगा। घर वापिस आया पर कोई सुधार नहीं हुआ। मैंने अपने माता पिता को वापिस शिमला बुला लिया उस समय वो चंडीगढ़ में थे। हम फिर से IGMC (हॉस्पिटल) गए वहां पर तकरीबन 15 से 20 दिन एडमिट रहा। मेरी टांगों में स्टिफनेस बढ़ना शुरू हो गया और उनकी स्ट्रैंथ कम होने लगी। वास्तव में मुझे Arthritis disease हो गई थी। बहरहाल वहां से मुझे चंडीगढ़ मेडिकल कॉलेज (Sector 32) ले जाया गया वहां पर काफी जाने माने डॉक्टर जिन्होंने मेरा case हैंडल किया उन्होंने बोला की ये ज्यादा सीरियस बीमारी नहीं आप जल्दी ही ठीक हो जाओगे ,और बोला की ये problem young age में नहीं होती आप काफी दुर्भाग्यशाली हो जो ये आपके साथ हुआ है। वहां पर उन्होंने मुझे इमरजेंसी वार्ड में रखा हुआ था।
About Arthritis
Arthritis is a long-term autoimmune disorder that primarily affects joints. It typically results in warm, swollen, and painful joints. Pain and stiffness often worsen following rest.
A Little Hope
3 से 4 दिन चंडीगढ़ मेडिकल कॉलेज में रहने के बाद फिर मुझे Department of Rheumatology PGI, चंडीगढ़ में शिफ्ट कर दिया और PGI में मेरी ट्रीटमेंट शुरू हो गयी। वहां पर मुझे स्टेरॉइड्स (Steroids) शुरू कर दिया। उस से कुछ सुधार नज़र आने लगा, और मैं Recover होने लगा। थोड़े दिनों में मैंने फिर से चलना फिरना शुरू कर दिया और हम वापिस शिमला आ गए। मैं फिर से अपनी नार्मल लाइफ जीने लगा ,हाँ क्रिकेट तो नहीं खेल पाया पर हल्का फुल्का डांस करना शुरू कर दिया। वापिस HPU जाने लगा और फीडबैक के लिए हर दूसरे, तीसरे हफ्ते PGI जाता था, ये सिलसिला अगले 2 साल तक चलता रहा और वहां पर डॉक्टर्स Reviews लेते थे और मेरी ट्रीटमेंट को बदलते रहते थे पर मुझे स्टेरॉइड्स (Steroids) पर लगातार रखा हुआ था।
Again Hit Back
मेरी ट्रीटमेंट सही चली हुई थी और मैं पहले से बेहतर हो रहा था पर फिर से मेरी किस्मत ने करवट बदल ली। जब मैं अपनी लॉ (Law)के लास्ट सेमेस्टर में था तो सर्दियों में मेरी प्रॉब्लम अचानक से फिर बढ़ गयी। मेरा चलना फिरना फिर से बंद हो गया और मैं लगभग बिस्तर तक ही सीमित (Bed Ridden) हो गया। मेरा दर्द बहुत ज्यादा बढ़ गया और मैं अपने शरीर (Body) को बदलते हुए देख रहा था। हम फिर से PGI गए, वहां पर बोला गया की स्टेरॉइड्स (Steroids)की डोज़ बढ़ानी पड़ेगी पर उस से कोई भी फायदा नहीं हुआ,हाल यह था की दवाईयों के बावजूद भी मेरी बीमारी बढ़ती ही जा रही थी। और कुछ समय के बाद मैं पूरी तरह से Bed Ridden हो गया।मेरा यूनिवर्सिटी जाना बंद हो गया,न तो मै व्हीलचेयर पर बैठ सकता था, रात को करवट भी बदलनी होती थी मुझे अपनी माँ को बोलना पड़ता था। मेरी ज़िंदगी पूरी तरह से मुश्किल हो गई थी और मैं पूरी तरह से दूसरों पर निर्भर हो गया था।
Mental Hustle
जब भी हम बुरे दौर से गुजर रहे होते हैं तो वह हमें कई तरह की मानसिक लड़ाई भी लड़नी पड़ती है और यही लड़ाइयां हमारे आगे का सफर तय करती है। मेरे साथ भी यह सब हो रहा था मैं सदमे में था चिड़चिड़ा हो रहा था छोटी-छोटी बात पर भड़क जाता था और मैं खुद से बस यही सवाल पूछता रहता था कि सिर्फ मैं ही क्यों मेरी फर्स्ट्रेशन का स्तर ऊंचा हो रहा था। मेरे दोस्त अपनी लाइफ में आगे बढ़ रहे थे कोई कॉरपोरेट में जा रहा था कोई तो कोई अपनी आगे की पढ़ाई पूरी कर रहा था और मैं पूरा दिन बिस्तर पर पड़ा रहता था। तो एक दिन मैंने सोचा कि अगर यह सब मेरे साथ नहीं हुआ होता तो शायद किसी और के साथ हुआ होता वह भी तो किसी का बच्चा होता तो उसको भी वही सब झेलना पड़ता जो कुछ आज मैं झेल रहा हूं । यही सब सोच कर मैंने अपना नजरिया बदलने की कोशिश करी। मेरे पास समय की तो कोई कमी नहीं थी इसलिए मैंने उस समय को पढ़ाई के लिए devote करना शुरू किया। मैं दिन में तीन चार न्यूज़पेपर पढ़ा करता था और अपने नॉलेज को enhance करने लगा। इसका परिणाम यह हुआ कि अब मैं कुछ भी नेगेटिव नहीं सोचता था जब भी मेरे दोस्त या cousion मुझसे मिलने आया करते थे तो हमारे बीच में इंटेलेक्चुअल बातें हुआ करती थी तो वह सभी हैरान होते थे।
Journey of surgery
थोड़े समय के बाद फिर से हम चंडीगढ़ चले गए और फिर वहां से सर्जरी के लिए एम्स (AIIMS), दिल्ली चले गए। एम्स में बोला गया कि आपकी जो सर्जरी होगी वह Phases में होगी। मैं काफी समय तक दिल्ली में रहा। इस दौरान मुझे पीलिया (Jaundice) हो गया और मेरी सर्जरी रूक गई। जॉन्डिस के कारण मेरा हीमोग्लोबिन (Hemoglobin) सिर्फ 6 ग्राम रह गया था और डॉक्टरों ने मुझे सर्जरी करने से मना कर दिया और हमें वापिस शिमला आना पड़ा। फिर मैंने योगा करना शुरू किया। मैं सुबह 4:00 बजे उठकर योगा करने लगा। मैने लगभग एक महीना सिर्फ प्राणायाम किया और इसका परिणाम यह हुआ कि मेरा हीमोग्लोबिन 6 ग्राम से बढ़कर 14 ग्राम हो गया और हम फिर से वापिस दिल्ली गए। वहां पर हमें किसी ने सलाह दी कि आपको गंगा राम हॉस्पिटल जाना चाहिए। वहां पर “डॉक्टर मेने” ने मेरी सर्जरी प्लान करी पर मैं इतना दुर्भाग्यशाली था कि दवाइयों की वजह से मुझे फिर से जोंडिस हो गया और एक बार फिर से मेरी सर्जरी रुक गई और हमें फिर से वापिस आना पड़ा। पर मैं फिर से रिकवर हुआ, योगा करता रहा और ठीक होकर फिर से जब मैं दिल्ली गया तो तो वह डॉक्टर रिटायर हो गए थे। मुझे सर्जरी के लिए फिर से इंतजार करना पड़ा, वापिस घर आ गए। हमने फिर से एक अच्छे डॉक्टर की खोज करना शुरू कर दिया। तब हमें डॉक्टर “रमेश सेन” के बारे में पता चला हमने उनसे संपर्क किया और उन्होंने मेरी सर्जरी PGI चंडीगढ़ में प्लान करी। मेरी सर्जरी लगभग ढाई साल तक चली क्योंकि यह काफी phases में हुई थी और दो सर्जरी ऐसी थी जिनमें मैं 6 महीने तक हिल भी नहीं सकता था। सर्जरी के बाद मुझे मोर्फिन दी जाती थी क्यूंकि यह सर्जरी वाला phase काफी दर्द भरा होता था।
Road to Recovery
मेरी सर्जरी खत्म होने के बाद हॉस्पिटल में एक दिन मेरे डॉक्टर मेरे पास आए और बोले कि आप अपने पैरों पर खड़े होने की कोशिश करिए, मैंने जैसे तैसे हिम्मत जुटाकर थोड़ा बहुत खड़े होने की कोशिश करी। हालांकि मैं पूरी तरह से अपनी कोशिश में सफल नहीं हो पाया परंतु फिर भी मेरे प्रयास से डाक्टर बहुत खुश और वो बोले की अब हमारा काम खत्म होता है और आपका काम शुरू होता है अब हम जितना कर सकते थे हमने किया अब यह आप पर निर्भर है कि आप कितनी जल्दी अपने पैरों पर खड़े हो सकते हैं। हम वापिस शिमला आए। वहां पर फिजियोथेरेपिस्ट “Pearl Rana” जी के साथ collabartion करके मेरी फिजियोथेरेपी शुरू हुई। शुरू में हमने
2 मिनट के लिए खड़ा होना शुरू किया फिर धीरे धीरे से अपना समय बड़ाना शुरू किया, रोजाना योग किया। थोड़े दिनों में मेरी हालत में सुधार होना शुरू हो गया। अब मैं ज्यादा समय के लिए अपने पैरों पर खड़ा हो सकता था ।आंगन में चलना फिरना शुरू कर दिया था और कुछ समय के बाद मेरी हालत में काफी सुधार हो गया।
Life at Hospital
मैं जब पहली बार हॉस्पिटल में एडमिट हुआ था उस समय मेरी उम्र महज 20 वर्ष थी, तो हॉस्पिटल में रह पाना मेरे लिए बहुत ही मुश्किल हो रहा था। हॉस्पिटल में रोजाना नई नई घटनाएं होती थी जो की मुझे बहुत डरा देती थी और मुझे अंदर से झकझोर कर रख देती थी। मेरे सामने ही लोग दम तोड़ देते थे जिसकी वजह से मुझे बहुत डर लगता था। यह सब चीजें बहुत ज्यादा दुखदायी थी और मुझे जल्द से जल्द ठीक होकर बस वहां से निकलना था।
Bed to Podium
वर्तमान में मैं बिल्कुल ठीक हूं और अपनी Problem से पूरी तरह से उभार चुका हूं। अब मेरा सारा ध्यान अपने काम पर है। वर्तमान में हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट, शिमला में एक सफल लॉयर की हैसियत से काम कर रहा हूं जिसमे मेरे senior lawyers का भी बहुत ज्यादा योगदान रहा है। आज के दिन मैं खुद से ड्राइव करता हूं, और अपने सारे काम खुद से करता हूं। मुझे ट्रेवलिंग का शौक था उसे भी पूरा कर रहा हूं। मैं भारत के अधिकतर राज्यों को घूम चुका हूं। हालांकि मैं अब पहले की तरह क्रिकेट नही खेल पाता हूं पर अपने डांस के जुनून को अभी तक जी रहा हूं। मेरी अभी तक की लाइफ का सबसे खुशनुमा दिन वह था जिस दिन मैं ठीक होकर पहली बार हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट, शिमला की सीढ़िया चढ़ रहा था, उस दिन मुझे मेरे सारे पुराने दिन याद आ रहे थे किस तरह मैने अपने 8 साल सिर्फ बिस्तर पर ही बिताए थे वो सब hustle याद आ रहा थोर मेरी आंखों में खुशी के आंसू थे।
Pillar of strength
निसंदेह मेरी इस यात्रा (Journey) में मेरे परिवार वालों का बहुत ही बड़ा योगदान रहा। उन्होंने मेरी हर जरूरत का ख्याल रखा। मुझे कभी भी अकेला नहीं छोड़ा। मेरे आत्मविश्वास को हमेशा ही बड़ाया । ये लड़ाई जितनी मैने लड़ी उस से कही ज्यादा मेरे घर वालों ने लड़ी। मैं फ्रस्ट्रेशन में जब भी अनाप शनाप बोल देता था तो मेरे घरवाले कभी भी आगे से रिएक्ट (React) नही करते थे। साथ में मेरे दोस्त और मेरे cousin’s उनका भी बहुत योगदान रहा। चाहे मेरे साथ बैठ कर मूवीज देखना,मेरी होंसला हफ्जाई करना, हर दिन वो मेरे साथ रहे उन सभी ने मुझे हमेशा प्रोत्साहित (Motivate) रखा और मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। PrepShine के माध्यम से मैं अपने डॉक्टर्स, परिवार वाले और अपने दोस्तों को शुक्रिया करना चाहता हुं, ये आप लोग ही जिनकी वजह से आज मैं फिर से अपने पैरों पर खड़ा हो सका हूं।